चाहत का इज़हार,
मुश्किल लगता है मुझे हमेशा
इसीलिए मेरे इज़हारों के कतार में
चाहत गुम जाती है
महफ़िल सज जाती है इज़हारे-नुमाइश की,
लेकिन अरसे बीत जातें है
दिल की बात आँखों तक नहीं उतरती.
कैद रह जाती है तो सिर्फ
कुछ दर्द और कुछ एहसास...
क्योंकि इज़हारे चाहतों को ढूंढ नहीं पाती
इसीलिए चाहत बरक़रार रहती है.
मुश्किल लगता है मुझे हमेशा
इसीलिए मेरे इज़हारों के कतार में
चाहत गुम जाती है
महफ़िल सज जाती है इज़हारे-नुमाइश की,
लेकिन अरसे बीत जातें है
दिल की बात आँखों तक नहीं उतरती.
कैद रह जाती है तो सिर्फ
कुछ दर्द और कुछ एहसास...
क्योंकि इज़हारे चाहतों को ढूंढ नहीं पाती
इसीलिए चाहत बरक़रार रहती है.
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